Tuesday, February 09, 2010

Certain Emotions

नमस्कार

आज १० घंटे की कड़ी मसक्कत के बाद प्रयोगशाला से निवृत हो कर कमरे  में पहुंचा| काफी थका होने के कारन मैं अपने स्नायु तंत्रों को आराम देने के उद्दयेश से आराम फरमाने लगा और इसी बीच सने-२  यादों के समुन्दर में खो गया|  मैं एक के बाद एक सारी यादों की परते खोलता रहा और अचानक मैं मन ही मन मुस्कुरा  के रह गया | आखिर जिंदगी में सब कुछ भुलाया जा सकता हैं पर प्रेम नहीं|  किस तरह सब कुछ अचानक हो जाता है और हमे आभास होने से पहेले ही हम प्रेम जाल में फंस चुके होते हैं| फिर शुरू होता है आशंकाओं और खूबशूरत सपनों कर भंवर| हम समझ ही नहीं पाते हैं की प्रेम एक मानसिक प्रक्रिया हैं और इसके प्रभावों को संयम के साथ परखना चाहिए. 

आखिर क्यूँ होता हैं हमे प्रेम? निश्चित रूप से प्रेम हमारी प्रजाति में एकता रखने का एक मात्र सन्दर्भ है. हमें सभी से प्रेम होता है, मां, बाप, भाई , बहन. लेकिन ये प्रेम कभी दिमागी सुख चैन नहीं छीनते. तो आखिर क्या बात है की हम किसी अनजान से अपना दिल लगा बैठतें हैं और फिर उसकी  प्रतिछाया हमेशा अपने मस्तिष्क में लिए घुमते  हैं? क्यूँ हमारा दिल हमेशा उसी के करीब रहेने के लिए मचलता है. ऐसा क्या है की सोने से पहेले और जागने  के बाद मस्तिष्क में पहेली तस्वीर उसी की उभरती  है ? क्यूँ हमारे सारे सपने उसी पर केन्द्रित हो जाते हैं. ऐसा क्या है की हमे ऐश्वर्य राय , कटरीना कैफ, सभी में उसी की तश्वीर उभरती हुई नजर आती है? ऐसा क्या है की उनके लाख मना  करने पर भी दिल  नहीं मानता और हमेशा उम्मीद का दामन  थामे रहता है. भले ही उन्होंने अपनी तरफ से कभी फ़ोन न किया हो पर हमेशा से उनकी पहेली  फ़ोन काल और मेसेज का इंतजार रहेता है?  आखिर  क्यूँ    उनकी   एक   झलक   पाने के लिए हम देश  दुनिया तक छान मारते  हैं ? क्यूँ जरा सी नकारात्मक घटनाओं से हमारा दिल जोर-२ से धड़कता है? क्यूँ पूरी तरह स्वस्थ होते हुए भी हमारा दिल दर्द से तड़पता है? क्यूँ वे हमे हमेशा पत्थर दिल लगते हैं? आखिर ऐसा क्या है की बहुत नियनत्रण करने के बाद भी उन्हें कोई न कोई मेसेज भेज ही देते हैं? 

आखिर इन सवालों का जवाब मुझे कहाँ मिलेगा ? कितना साहित्य मुझे पढ़ना होगा अपने दिल को सांत्वना देने लिए? मेरा दिल आखिर कब मेरे नियंत्रण में आएगा? मुझे इन सवालों का जवाब चाहिए क्यूँ की  मुझे भी प्रेम हुआ पर लाख कोशिशों एवं शोधपरक मस्तिष्क होते हुए भी मैं अपनी इस समस्या को हल नहीं कर सका हूँ. आखिर दुनिया की लाख समस्यायों से पर पाने के बावजूद इस प्रेम के आगे मैं कैसे टूट गया ?

शायद इसका जवाब यही है की मुझे प्यार हुआ है, और प्यार में किसी का नियंत्रण नहीं  होता है. क्यूँ की प्यार दुनिया की पवित्रतम चीज है,  जिसमें कोई स्वार्थ नहीं|